अबूझ पहेली

लोग कहते हैं समय के साथ चलना ही जिंदगी है, और आगे बढ़ते रहने का नाम जीवन। तो बस यही मान कर मैं भी चल रही हूं, जीवन में आगे, और आगे और फिर थोड़ा और... इस जीवन में अब तक आगे बढ़ते बढ़ते, काई लोग पीछे छूट गए, काई कहानियां अधूरी रह गईं और काई लोग बिछड़ गए।

एक शब्द सीखा था 'किंकर्तव्यविमूढ़', उसका अर्थ अब समझ आ रहा है। कई बार आपके पास कोई सही रास्ता नहीं होता, या सब रास्ते शायद सही होते हैं। काई सारे सवाल हैं जिनका कोई जवाब नहीं है, पर कितना कुछ है कहने को। और इतना कुछ होने के बावजूद चुप रहना मुझे आसान लग रहा है।ये जो आगे बढ़ते रहने की ख्वाहिश और आदत हो गयी है, अब रुकना कैसे और कहां है समझ नहीं आ रहा। 

बस इतना ही अभी के लिए...

धुंधले से चेहरे, धीमी सी एक आवाज़,

अधूरी बहुत सी कहानियां, किस्से और उनके किरदार

अबूझ पहेली बन गए हैं

बिसर गया है कितना कुछ, नई यादों के लिए जगह बनाते-बनाते 

मुट्ठी में रेत से रह गए हैं कुछ अनमोल क्षण, जो ना जाने कब खो जाएंगे

क्या हम यूंही मन को मनाते, दिल मसोस कर रह जायेंगे?

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